मैथिलि गीत –
केलहुं कतबो जतन तैयो धेलक नै दम ,
कनियो निर्लज्जा के नै एलई शर्म —-, !!
आब त अपनों मोन घिच – पिच करैया ..
सबटा प्रेमे के भाषा बुझाईया …………….!!
कैहता किछ कियो लैगता बड आइन
ओकरा घर फेर हम पिबतौं नै पैन
आब त गढ़ियो स आत्मा जुराईया
सबटा प्रेमे के भाषा बुझाईया……………..!!
नै जानी दुनिया नै जानी संसार
हमरा त धेलक जे अलगे बोखार
बुझी जहरों के अमृत पिबैया
सबटा प्रेमे के भाषा बुझाईया……………..!!
बुझितुं जे छीन लेत कियो चोरी में
धरित्हूँ जियरा बंद क तिजोरी में
जेना हाथो -पैर आब नै सुझैया
सबटा प्रेमे के भाषा बुझाईया……………..!!
पकरै छि मोन के जुन्ना लगाम स
ससरैया तैयो जे जियरा दालान स
देखि आत्मा हमर खहरैया
सबटा प्रेमे के भाषा बुझाईया …………….!!
केलहुं कतबो जतन तैयो धेलक नै दम ,
कनियो निर्लज्जा के नै एलई शर्म —-, !!
आब त अपनों मोन घिच – पिच करैया ..
सबटा प्रेमे के भाषा बुझाईया …………….!! ३
( नविन ठाकुर )