अपन अब्गुन के देख मोन निराश भ गेल
सब के देखि आगुवाइत आर हताश भ गेल
आयल तैकते कियो, फेर …. खूबी हमर ,
हमर अब्गुने के देख क ओ बताह भ गेल !
Category: करेजाक छंद –
करेजाक छंद –
बैस्लहूँ अचेत भ प्रेमक ओश में !
आयल ने प्रीतम ने एल्हूँ होश में,
हृदय सँ आश शटल अछि एखनो;
कहियो त आबी लेता आगोश में !!
बात हमरा सँ आंहाके, कहलो नै जायत !
करेजाक छंद –
हँसैत छि डरैत- डरैत , कनैत छि हँसैत हँसैत !
अपने स लैर – लैर तंग छि आब सहैत- सहैत !
बेगरता चौबटिया पर मोन अछि बहुरुपिया सन !
अनका स जरैत- जरैत, अपना ला मरैत-मरैत !
करेजाक छंद –
भेलहुँ अन्धेरेज कने सम्हारु अपन आलिंगन स
उतारू लज्जाक बोझ कने ,अपना मन के प्रांगन सँ
बैच निकैल जायब भले , हमर दृष्टीक पछोर सँ
मुस्किल अछि भागब धैर, हमर मोनक आँगन सँ
(1)
मोन में बैस नयन स अलोपित भ गेलहुं !
एतेक कोन आतुर छल जे घुरियो नै तक्ल्हूँ
कोन एहन गलती भेल हमरा स ,
जे सदा के लेल आन्हा साथ छोइर देलहुं ! !
(2)
आन्हा भेटब नै भेटब हमरा कोनो गम नै !
बस लगे स निकैल गेलहुं याह कोनो कम नै,
करेजा सिहैर उठल हवा के सरसराहट स ,
आयल जे छुबी आंहाके पल्लूक फरफराहट स ! !
(3)
निहारैत नेत्र सब दिन चाँद के आकाश में !
काश ख़तम भ जैता इंतजार एकै निसाश में ,
नै आयत बुझितो अनजान भेल अछि मोन ,
तैयो ताकि रहल अछि बाट ओकर आश में ! !
1.
करेजाक छंद –
ऐना दिल तोरलहूँ बिसरलहूँ सब उमंग
जियरा उरिन भेल छोरलहूँ प्रितक संग
प्रीत छल जाधैर लिख्लहूँ गजल रुबाई !
तते लिखलहूँ जे सुखी गेल सब स्याही !
आब नोरे स लिखई छि जतेक सपरैया !
भुखालो में मोन हमर सैद्खन ढेकरैया !
लिख्लेल बैसलहूँ मोन मचबैया हुरदंग !
लिखते-लिखते गजल लिखा जैया छंद !
2.
हाथ झीकै छि मोन मुदा, घुस्कैया तैयो
एहन अन्हेर नै भेल छल कहियो
बचपन के पात्र उझिल देलक जेना
देखि यौवन के जियरा धरिक उठल दैयो !
3.
ठनकल माथा –
हद क देलहुं इन्तजार करबैत कंही ककरो स तकरार नै भ जाए
व्याकुलता सीमा लांघी चुकल कंही डरे कोनो अपराध नै भ जाए,
लैर रहल अछि भीतर क्रोध आ भय आपस में
शंका ग्रहण लगेने अछि ,ठारे-ठारे इमोशनल अत्याचार नै जाए !
4.
सान्तवना देलहुं मन के तृप्ति सँ
कसकल जे मोन ओही दृष्टी सँ
आब त हँसितो छि कनैत सिस्की सँ
भेल परती अकुआल मोन सृष्टी सँ !
5.
मायुश तो हूँ वादे से तेरे ,
कुछ आस नहीं और आस भी है !
जीता हूँ तेरे खयालो में अब
तू पास नहीं मेरे और पास भी है !
आब कत अछि जिनगी कत अछि जान
आब कियक नई करैत अछि कियो हरान
थैम गेल सबटा उजैर गेल सबटा
रुधिरक प्रवाह रुकल छूटल प्राण
आब कत अछि जिनगी कत अछि जान !
देहक पीड़ा , अस्थि के जक्रण
नई छि आब कथू सँ परेशान
अछि ने अन्हार आ नै इजोत
सबटा बुझी परैया एकै सामान
आब कत अछि जिनगी कत अछि जान !
व्यंजन नाना प्रकारक बनल
तैयो बुझी परैया मोन अछि भरल
नई कोनो ललसा नै कोनो लोभ
कथी पर करब आब ओतेक शान
आब कत अछि जिनगी कत अछि जान !
कत अछि आब लहर ओ उमंग
ठहैर गेल जिनगी शिथिलता के संग
नै कोनो लाज नै कोनो शर्म
नै कोनो हकीकत नै कोनो भ्रम
नै अची अंगना हमर नै अछि दलान
आब कत अछि जिनगी कत अछि जान !