हे यउ ओ छलाह मिथिला वासी
रंग अद्भुत ढंग अद्भुत
खान पानक सचार अद्भुत
वस्त्र अद्भुत सस्त्र अद्भुत
वेद हुनकर मित्र अद्भुत
सिद्धि प्रसिद्धि छल हुनक दासी
हे यौ ओ छलाह मिथिला वासी !!
भासा के जुनी करू बखान
जिनक पसंदी पान मखान
मिथिला भूमि हुनक अभिमान
जाहिठाम सीता भेली महान
समय चक्र के देखू रासी
हे यौ ओ छलाह मिथिला वासी !
दृष्टी बदलल ज्ञान बद्लिगेल
रंग रूप और नाम बद्लिगेल
हमर मानो हुनका आपमान लागैत छैन ,
दू दिन में हुनकर शान बद्लिगेल
पोथा -पोथी के देला त्यागी
अंग्रेजी के भेला दासी
हे यौ ओ छलाह मिथिला वासी !
जागु मैथिल मिथिला वासी
वासी भ नै बनू सन्यासी
अपन रीति के ज्योति जलाबू
मिथिला के अंधकार मेटाबू
लिय संकल्प बनू अभिलाषी
ज होई सच्चा मिथिला वासी !